Overview
पार्वतीबाई चौगुले महाविद्यालय (स्वायत्त) में हिन्दी विभाग की स्थापना 1962 को हुई थी। गोवा विश्वविद्यालय के बाद यह एक मात्र ऐसा हिन्दी विभाग है जहाँ स्नातक के साथ स्नातकोत्तर शिक्षा हेतु एम.ए. हिन्दी और पीएच.डी. शोधकेंद्र है।
हिन्दी विभाग में स्नातक स्तर पर 08 कोर (अनिवार्य) और 16 वैकल्पिक पेपर (Elective courses) के साथ-साथ अंतरविद्याशाखीय कोर्सेस (Inter Disciplinary Course ) के अंतर्गत ‘बुनियादी कोर्स’ (Foundation Course) ‘जेनेरिक इलेक्टिव कोर्स’ (Generic Elective Course) तथा ‘कौशल विकास पाठ्यक्रम’ (Skill Enhancement Course) का अध्ययन किया जाता है।
विभिन्न शिक्षण पद्धतियों द्वारा हिन्दी विभाग के प्राध्यापक छात्रों को ज्ञान प्रदान करने की कोशिश करते हैं। उदा:- व्याख्यान पद्धति (Traditional method),चर्चा पद्धति (Discussion/Interactive Method), वाद-विवाद (Debate), नाट्य अभिनय (Role Play), नाटक प्रस्तुतीकरण (Dramatisation ),लघु फिल्म एवं विज्ञापन (Short Film and Advertisement), वृतचित्र (Documentary), साक्षात्कार (Interview),छात्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण (Student Presentation) अनुभव आधारित शिक्षण पद्धति।
हिन्दी विभाग के पुस्तकालय में हिन्दी साहित्य की पुस्तकें पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, जिनकी सहायता से छात्र के ज्ञान में वृद्धि होगी।
सूचना क्रांति के इस दौर में हम लोगों ने ऐसा पाठ्यक्रम बनाया है जिसकी सहायता से छात्र रोजगार प्राप्त कर सकेगा। इस पाठ्यक्रम को पढ़ने के उपरांत छात्र भाषा कौशल में कुशल होगा। वह अपनी वाणी से लोगों को प्रभावित कर पाएगा।
List of Ph.D. Candidates
Date of Enrolment | Name of the Student | Topics | Supervisor |
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27th December 2013 | Ms Deepti D. Chatin Aldonkar | Swatantyotar Hindi Yatra Sahitya : Samikshatmak Adhyayan | Dr Omprakash Tripathi |
12th May 2014 | Ms Amita Mandrekar | Shivmurtika Sahitya : Vivechan avum Vishleshan | Dr Omprakash Tripathi |
12th May 2014 | Ms Archana Sharma | Mannu bhandarika rachana sansar : Sarokar avum vimarsh | Dr Omprakash Tripathi |
Vision & Mission
पार्वतीबाई चौगुले महाविद्यालय, हिन्दी विभाग का मिशन विद्यार्थियों में लेखन और वाचन कौशल को बढ़ावा देना है। अतः पाठ्यक्रम में इससे संबन्धित कुछ प्रमुख बिन्दुओं को शामिल किया गया है, जैसे- साहित्यिक एवं व्यावहारिक हिन्दी का अध्ययन। साहित्यिक अध्ययन के अंतर्गत हम मध्यकालीन एवं आधुनिक रचनाकारों के साहित्य से परिचय कराते हैं, जिसके माध्यम से विद्यार्थी साहित्य की परम्पराओं से परिचित होते हैं और उनमें सृजनात्मक कौशल का विकास भी होता है। इसे ध्यान में रखकर विद्यार्थियों को कबीर, सूरदास, तुलसीदास, मीराबाई, बिहारी, हरीशंकर परसाई, शरद जोशी के साथ भाषा एवं काव्य शास्त्र का अध्ययन कराया जाता है। व्यावहारिक हिंदी के अंतर्गत विद्यार्थियों को सरकारी अथवा गैरसरकारी संस्थानों में हिंदी के प्रयोग हेतु पत्रकारिता, अनुवाद, रेडियो, दूरदर्शन, विज्ञापन जैसे विषयों का प्रारंभिक ज्ञान कराते हुए उन्हें इंटर्नशिप के लिए पाठशाला, राजभाषा विभाग, समाचार पत्र कार्यालय, आदि में भेजा जाता हैं।